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SARAHAH के बहाने ......(व्यंग्य)

कल "Sarahah" को  uninstall कर ही दिया।झूठ काहे बोलें सात दिन में सिर्फ दो मैसेज आए। खुद को सांत्वना देने को सोचता हूँ शायद मेरे दोस्त इतने पारदर्शी हैं कि उन्हें मुझ से कुछ कहने को ऐसे माध्यमों की कोई आवश्यकता नहीं महसूस होती हो। पर अपने अनुभव से इतर देखूँ तो साराहा खूब चल रहा है।अपवादों को छोड़  दें तो लोग इस पर आने वाली हर अच्छी बुरी प्रतिक्रिया से संतुष्ट दिख रहे हैं।मनवांछित के लिए स्वीकार्यता और अनवांछित के लिए असहिष्णुता जो अन्य जगहों पर दिखती है वह यहां  नहीं  दिखाई  देती। इसकी लोकप्रियता  का सबसे बडा कारण है इसमें पहचानों की गोपनीयता।ये मनोविज्ञान की बात है कि हमें  वही वस्तुएं  अधिक लालायित करती हैं जो दिखाई नहीं देती।सुना है अमेरिका में एक स्टोर ने एक बार ऐसी हेयरपिन बेचनी शुरू की जो दिखती नहीं  थी।देखते ही देखते  ये खूब चलन में आ गईं।खूब  बिकने  लगीं।लोगों को यह अपील कर गईं।हर कोई  इसे खरीदने  लगा,सेल खूब  बढ गई ।बाद में पता चला कि असल में ऐसी कोई हेयरपिन थी ही नहीं डिबिया तो खाली थी। यह सही है कि ...