वन नेशन वन इलेक्शन एक बहुत अच्छा प्रहार होगा ऐसे लोगों पर जो फुल टाइम केवल राजनीति करते हैं। ये लोग और कुछ नहीं करते, केवल राजनीति करते हैं। ऐसे लोग बेहद घातक होते हैं एक स्वस्थ समाज में क्यों कि अपनी "फुल टाइम वाली राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं" के पोषण के लिए समाज में विष घोलते रहने के सिवा इनके पास कोई विकल्प नहीं होता। फुल टाइम राजनीति करनी है तो विष तो घोलना ही होगा, नफरत तो पैदा करनी ही होगी। समाज को बांटना तो होगा ही। जब धर्म, संप्रदाय, जाति, आदि की सब दीवारें cliche लगने लगें, तब राजनीति गढ़ती है कुछ नया, मसलन भारत और इंडिया के बीच भी दीवार ये खड़ी कर देती है, क्या अंतर है भारत और इंडिया में, इसके मायने कई हैं, इसके तर्क भी राजनीति कई खोज लेगी, कुतर्क उससे भी ज़्यादा, पर इन सब की ज़रूरत नहीं, बस इतना ही काफी है कि राजनीति ने एक दीवार खड़ी कर दी है, राजनीति इन्हीं दीवारों पर मज़बूत खड़ी रहती है। वो ही दीवारें जो समाज को बांट रही होती हैं, ज़मीन तैयार कर रही होती हैं राजनीति के लिए। फुल टाइम राजनीति में हर दिन बिना कुछ अच्छा किए भी आपको हर दिन प्रासंगिक बने रहने की चुनौती है...